आरक्षित मुद्रा क्या है?
आरक्षित मुद्रा(Reserve Currency) एक विदेशी मुद्रा है जिसे सरकारें और बैंक अपने पास बड़ी मात्रा में रखती हैं। इसका उपयोग दुनिया भर में व्यापार, निवेश और अन्य आर्थिक गतिविधियों के लिए किया जाता है।
आरक्षित मुद्रा को अक्सर “कठोर मुद्रा” या “सुरक्षित आश्रय मुद्रा” कहा जाता है क्योंकि यह मूल्यवान और स्थिर होती है।
आरक्षित मुद्रा का महत्व
आरक्षित मुद्रा एक देश के पास रखी जाने वाली विदेशी मुद्रा है। यह देश की वित्तीय स्थिरता और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। आरक्षित मुद्रा के कई फायदे हैं, जैसे कि:
- आर्थिक झटकों को सहन करना: अगर किसी देश की मुद्रा का मूल्य गिरता है, तो वह देश अपनी आरक्षित मुद्रा बेचकर अपनी मुद्रा को स्थिर करने की कोशिश कर सकता है। इससे उस देश को आर्थिक संकट से बचने में मदद मिलती है।
- आयात का भुगतान करना: अगर किसी देश की मुद्रा का मूल्य कम हो जाता है, या अगर उसकी मुद्रा को आयातकर्ता स्वीकार नहीं करता है, तो वह देश अपनी आरक्षित मुद्रा का प्रयोग कर सकता है। इससे उस देश को आयात करने में आसानी होती है।
- ऋण की सेवा करना: अगर किसी देश की मुद्रा का मूल्य कम हो जाता है, या अगर उसकी मुद्रा को ऋणदाता स्वीकार नहीं करता है, तो वह देश अपनी आरक्षित मुद्रा का प्रयोग कर सकता है। इससे उस देश को अपने ऋण का भुगतान करने में आसानी होती है।
- अपनी मुद्रा का मूल्य नियंत्रित करना: अगर किसी देश की मुद्रा का मूल्य बहुत तेजी या मंदी से बदलता है, या अगर उसकी मुद्रा को बाजार में प्रभावित करने की कोशिश की जाती है, तो वह देश अपनी आरक्षित मुद्रा का प्रयोग कर सकता है। इससे उस देश को अपनी मुद्रा को स्थिर और प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलती है।
विश्व की प्रमुख आरक्षित मुद्राएं_
दुनिया की मुद्रा बाजार में अमेरिकी डॉलर का बोलबाला है। इसे 1944 में ब्रेटन वुड्स समझौते के तहत आधिकारिक आरक्षित मुद्रा बनाया गया था। इस समझौते के तहत, 44 देशों ने अपनी मुद्राओं को डॉलर से जोड़ा और डॉलर को सोने के बराबर माना। इससे डॉलर का मूल्य स्थिर रहा और अन्य देशों को अपनी मुद्राओं को स्थिर करने में मदद मिली।
ब्रेटन वुड्स प्रणाली का अंत 1971 में हुआ, जब अमेरिका ने अपने डॉलर को सोने से अलग कर दिया, और दुनिया की मुद्राओं का मूल्य बाजार के अनुसार तय होने लगा। लेकिन डॉलर का प्रभाव अभी भी बना रहा, क्योंकि बहुत से वस्तुओं, जैसे कि सोना और तेल, डॉलर में ही मूल्य निर्धारित किए जाते थे। इसके अलावा, अमेरिका ने अपने आर्थिक, राजनीतिक, और सैन्य प्रभाव को दुनिया भर में फैलाया, और अन्य देशों को अपने डॉलर को स्वीकार करने के लिए मजबूर किया। इस प्रकार, डॉलर विश्व की सबसे शक्तिशाली और प्रचलित आरक्षित मुद्रा बना।
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अन्य आरक्षित मुद्राएं_
डॉलर के अलावा, विश्व में अन्य आरक्षित मुद्राएं भी हैं, जो केंद्रीय बैंकों द्वारा रखी जाती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:
यूरो:
- यूरो 1999 में शुरू हुआ था।
- यह 19 यूरोपीय देशों की साझा मुद्रा है।
- इसे दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आरक्षित मुद्रा माना जाता है।
- इसका मूल्य डॉलर के बराबर है।
- इसे दुनिया भर में खाद्यान्न, धातु और जैविक संसाधनों के लिए भी उपयोग किया जाता है।
युआन:
- युआन चीन की मुद्रा है।
- इसे रेनमिनबी भी कहा जाता है।
- इसे दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आरक्षित मुद्रा माना जाता है।
- इसका मूल्य डॉलर से बंधा हुआ है।
- इसे दुनिया भर में तेल, सोना और खनिजों के लिए भी उपयोग किया जाता है।
येन:
- येन जापान की मुद्रा है।
- इसे विश्व की चौथी सबसे बड़ी आरक्षित मुद्रा माना जाता है।
- इसका मूल्य डॉलर से अलग है।
- इसे एक कमजोर मुद्रा माना जाता है।
- इसे दुनिया भर में इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और रोबोटिक्स के लिए भी उपयोग किया जाता है।
पाउंड:
- पाउंड ब्रिटेन की मुद्रा है।
- इसे विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी आरक्षित मुद्रा माना जाता है।
- इसका मूल्य डॉलर से अलग है।
- इसे एक मजबूत मुद्रा माना जाता है।
- इसे दुनिया भर में फार्मास्यूटिकल्स, वित्तीय सेवाओं और शिक्षा के लिए भी उपयोग किया जाता है।