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उत्तराखंड के रंगीन सपनों की घाटी – फूलों की घाटी की सैर! – Valley of flowers

उत्तराखंड के रंगीन सपनों की घाटी – फूलों की घाटी की सैर! – Valley of flowers__

क्या आपने कभी सोचा है कि ज़मीन हंस भी सकती है? हज़ारों रंगों के फूलों के चादर से अपनी खुशी जता सकती है? अगर नहीं, तो चलिए ज़रा उत्तराखंड की चमोली ज़िले के घने जंगलों में खोते हैं, जहाँ आपको मिलेगी “फूलों की घाटी” – प्रकृति का एक रंगीन चमत्कार!

फूलों की घाटी की खोज पहली बार 1931 में ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक स्मिथ, आरएल होल्ड्सवर्थ और एरिक शिप्टन ने की थी। वे कामेट पर्वत के अभियान के बाद वापस आ रहे थे, जब वे संयोग से इस घाटी में पहुंच गए।

वे इस घाटी की सुंदरता से इतना अभिभूत हुए कि उन्होंने इसे “फूलों की घाटी” का नाम दिया। उन्होंने इस घाटी के बारे में ब्रिटिश पत्रिकाओं में लेख लिखे, जिससे यह दुनिया भर में प्रसिद्ध हो गई।

फूलों की घाटी को 1982 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया गया। 

ये घाटी समुद्र तल से करीब 3600 मीटर की ऊँचाई पर, हिमालय की बर्फ़ीली चोटियों के बीच में छिपी है। जैसे ज़मीन का कोई जादूगर ने हाथ फेरा हो और पहाड़ों को चटख रंगों के फूलों की गलीचा बिछा दी हो!

यहाँ जुलाई से अगस्त के बीच का नज़ारा कुछ और ही होता है। जैसे ही बरसातें थमती हैं, वैसे ही घाटी हज़ारों फूलों से भर जाती है। हरे मैदानों पर गुलाबी, पीले, नीले, सफेद – हर रंग के गुल खिलते हैं। उनका नाम लेना भी मुश्किल है – ब्रह्मकमल, गेंदेविया, कटारकली, रिंगकुच – हर फूल किसी नायाब कविता की तरह लगता है।

ये फूलों की घाटी सिर्फ नज़ारा नहीं, बल्कि एक खुशबूदार सपना है। हवा में हल्की मीठी खुशबू तैरती रहती है, जो आपके मन को तरोताज़ा कर देती है। पहाड़ों की चोटियाँ बर्फ की चादर ओढ़े ताकती हैं, और नन्हें नाले हँसते हुए घाटी से होते हुए निकलते हैं। हर तरफ ज़िंदगी का संगीत बजता है – पक्षियों का मीठा कलरव, झरनों का सरसराहट, फूलों के हिलने पर पत्तियों का सरसनाहट।

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इस घाटी तक पहुँचना थोड़ा साहसिक ज़रूर है। गाड़ियों से तो यहाँ नहीं पहुँचा जा सकता। आपको गौरि कुंड से करीब 12 किलोमीटर का ट्रैक पार करना होगा। ये रास्ता पहाड़ी ज़रूर है, लेकिन हर मोड़ पर मिलने वाला नज़ारा आपकी सारी थकान मिटा देगा।

फूलों की घाटी सिर्फ घूमने की जगह नहीं है, ये प्रकृति की सुंदरता को समझने का मौका है। ये हमें याद दिलाती है कि ज़िंदगी छोटी है, हर पल का मज़ा लेना चाहिए। तो अगली बार जब घूमने का मन हो, तो ज़रूर ज़रा गौरि कुंड से चलिए और फूलों की रंगीन दुनिया में खो जाइए!

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याद रखिए:

  • फूलों की घाटी का मौसम जुलाई से अगस्त तक होता है।
  • ये जगह UNESCO World Heritage Site है, इसलिए फूल न तोड़ें, न ही कूड़ा-करकट फैलाएँ।
  • यहाँ का रास्ता पहाड़ी है, इसलिए आरामदायक जूते पहनकर जाएँ।

तो चलिए इस बार कुछ अलग करें, न किसी मंदिर, न किसी महल, बल्कि उत्तराखंड के इस “फूलों के स्वर्ग” की सैर पर निकलें और ज़िंदगी को रंगों से भर लें!

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