संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद विश्व की पुलिस बल की तरह है। यह शांति बनाए रखने और युद्धों को रोकने के लिए जिम्मेदार है। UNSC की स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1945 में की गई थी। तब से दुनिया बहुत बदल गई है, और UNSC अब दुनिया की वर्तमान वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित नहीं करता है। परिषद में पाँच देशों (चीन, फ्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका) के पास स्थायी सदस्यता हैं, और 10 अस्थाई सदस्य है , जो हर २ साल के नियमित आधार पर बदलते रहते है। वर्तमान में 193 देश से अधिक इसमें सदस्य हैं। वर्तमान में भारत अस्थाई सदस्य का हिस्सा है।
UNSC सुधार के लिए भारत की क्या मांगें हैं?
भारत उन देशों में से एक है जो UNSC सुधार के अभियान का नेतृत्व कर रहा है। भारत की मुख्य मांगें हैं:
- भारत सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट चाहता है।
- भारत की मांग है कि अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और एशिया के अन्य देशों को भी स्थायी सीटें मिलें।
- भारत यह भी चाहता है कि वीटो शक्ति में सुधार किया जाए ताकि इसका इस्तेमाल महत्वपूर्ण निर्णयों को रोकने में न किया जा सके।
- सुरक्षा परिषद में अधिक न्यायसंगत क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व ।
- पाँच स्थायी सदस्यों द्वारा प्रयुक्त वीटो शक्ति में सुधार।
- आतंकवाद पर एक व्यापक सम्मेलन को अपनाना।
- सुरक्षा परिषद की कार्य पद्धतियों में सुधार।
UNSC सुधार के समक्ष क्या चुनौतियाँ हैं?
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य (चीन, फ्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका) अपनी शक्ति नहीं छोड़ना चाहते हैं।
- अन्य देश इस बात पर सहमत नहीं हो सकते कि सुरक्षा परिषद में सुधार कैसे किया जाए।
- अभी भी सुरक्षा परिषद में सुधार के प्रयास करने की आवश्यकता है ताकि यह सभी के हितों की बेहतर सेवा कर सके।
UNSC में सुधार की जरुरत क्यूँ:
- मौजूदा नियम अनुचित हैं और देशों के एक छोटे समूह को बहुत अधिक शक्ति देते हैं।
- सुरक्षा परिषद आज दुनिया का प्रतिनिधित्व नहीं करती, खासकर अफ्रीका और लैटिन अमेरिका का।
- वीटो शक्ति कुछ देशों को बहुत अधिक शक्ति देती है और इसका उपयोग महत्वपूर्ण निर्णयों को रोकने के लिए किया जा सकता है।
- सुरक्षा परिषद की कार्य पद्धति गोपनीय एवं अकुशल है।
निष्कर्ष
UNSC सुधार एक जटिल और चुनौतीपूर्ण मुद्दा है। सुरक्षा परिषद में सुधार कैसे किया जाए, इस पर कई अलग-अलग विचार हैं और सभी 193 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों के बीच आम सहमति तक पहुंचना मुश्किल है। हालाँकि, सुरक्षा परिषद में सुधार की दिशा में काम करना जारी रखना महत्वपूर्ण है ताकि यह दुनिया की वर्तमान वास्तविकताओं को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित कर सके और अधिक प्रभावी ढंग से अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रख सके। कुछ वर्षो से कई देशों में आपसी मदभेद चल रही है, जैसे युक्रेन-रशिया, इजराइल-पलेस्तीन, चाइना-ताइवान और कुछ अफ़्रीकी देश जहाँ पर UNSC अब तक शांति समझोता नहीं करा पाया। समय को देखते हुए UNSC को अपने कर्तव्यो पर खड़ा उतरना होगा, जिसके लिये इस संगठन का गठन हुआ था।
अगर UNSC ऐसा कारने में असमर्थ रहता है तो आने वाले वर्षो में UNSC का महत्व कम हो जाएगा।