निक्सन शॉक(Nixon Shock): एक आर्थिक उलटफेर__
क्या था निक्सन शॉक?
1971 में, अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने एक ऐसा फैसला लिया जिसने दुनिया की मुद्रा प्रणाली को हमेशा के लिए बदल दिया। इस फैसले को निक्सन शॉक कहा जाता है।
निक्सन शॉक से पहले, दुनिया के अन्य देश अपनी मुद्रा को अमेरिका के डॉलर से जोड़ते थे। इसका मतलब था कि उन देशों के लोग अपने पैसे को डॉलर में बदल सकते थे, और डॉलर को सोने में बदल सकते थे।
निक्सन शॉक के बाद, अमेरिका ने अपने डॉलर को सोने से अलग कर दिया। इसका मतलब था कि लोग अपने पैसे को डॉलर में बदल नहीं सकते थे, और डॉलर को सोने में बदल नहीं सकते थे।
निक्सन शॉक का कारण क्या था?
निक्सन ने निक्सन शॉक का फैसला अमेरिका की आर्थिक समस्याओं को हल करने के लिए लिया था। अमेरिका वियतनाम युद्ध में शामिल था, और इस युद्ध पर बहुत पैसा खर्च हो रहा था। इससे अमेरिका का व्यापार घाटा बढ़ गया था। इसका मतलब था कि अमेरिका से ज्यादा सामान आयात हो रहा था, और उससे कम सामान निर्यात हो रहा था।
व्यापार घाटे के कारण, अमेरिका के पास सोना कम हो गया था। इससे दुनिया के अन्य देश अपने डॉलर को सोने में बदलने लगे थे। इससे अमेरिका को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा था।
निक्सन शॉक के अन्य उपाय
निक्सन शॉक के अलावा, निक्सन ने कुछ और उपाय भी किए। इनमें शामिल हैं:
- वेतन और मूल्यों पर जमाव
- आयात पर अतिरिक्त शुल्क
- अमेरिका की मुद्रा को दुनिया की अन्य मुद्राओं से अलग करना
इन उपायों का उद्देश्य अमेरिका की आर्थिक वृद्धि और रोजगार को बढ़ाना था।
निक्सन शॉक के प्रभाव
निक्सन शॉक के परिणामस्वरूप, ब्रेटन वुड्स प्रणाली का अंत हो गया। ब्रेटन वुड्स प्रणाली एक ऐसी प्रणाली थी जो दुनिया की मुद्राओं के मूल्य को नियंत्रित करती थी।
निक्सन शॉक के बाद, दुनिया की मुद्राओं का मूल्य अब बाजार के अनुसार तय होने लगा। इसका मतलब था कि मुद्राओं के मूल्य में उतार-चढ़ाव होने लगा।
निक्सन शॉक ने दुनिया के आर्थिक संबंधों में भी बदलाव लाया। इससे अमेरिका की भूमिका में कमी आई।
निक्सन शॉक एक महत्वपूर्ण आर्थिक घटना थी जिसने दुनिया की मुद्रा प्रणाली को हमेशा के लिए बदल दिया। इस घटना ने दुनिया के आर्थिक संबंधों में भी बदलाव लाया।
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