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बाल श्रम का बच्चों के स्वास्थ्य और कल्याण पर प्रभाव-The impact of child labour on children’s health and well-being

परिचय

पूरे विश्व भर में बाल श्रम एक गंभीर समस्या है। भारत में कई बच्चे काम करने को मजबूर हैं। ये बच्चे 14 साल से कम उम्र के हैं और वे ऐसे काम करते हैं जो उनके लिए हानिकारक हैं। ये काम उनके बचपन, पढ़ाई और खेलकूद के अवसर छीन लेते हैं। अनुमान है कि भारत में एक करोड़ से अधिक बच्चे बाल श्रम में लगे हुए हैं। 

उदाहरण के लिए – 

  • एक 12 साल का बच्चा कारखाने में काम करता है। वह लंबे समय तक काम करता है और उसे बहुत कम वेतन मिलता है। वह स्कूल नहीं जा पाता है और खेलकूद भी नहीं पाता है।
  • एक 10 साल की बच्ची घरेलू काम करती है। उसे बहुत सारा काम करना पड़ता है और उसे बहुत कम समय मिलता है आराम करने और खेलने के लिए।

 

बाल श्रम क्या है?

बच्चों को ऐसे काम में लगाना, जो उनके लिए नुकसानदायक या शोषणकारी है, बाल श्रम कहलाता है। इसमें कारखानों, खदानों, खेतों और घरों में काम शामिल हो सकता है। बाल श्रम बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है और यह उनके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है।

 

भारत में बाल श्रम की व्यापकता

2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में एक करोड़ से अधिक बाल श्रमिक हैं। इसका मतलब है कि भारत में हर 11 बच्चों में से एक बाल श्रम में लगा हुआ है। बाल श्रम ग्रामीण क्षेत्रों और हाशिए पर रहने वाले समूहों(ऐसे समूहों से है जो समाज की मुख्यधारा से अलग-थलग या बाहरी हैं। इन समूहों के सदस्य अक्सर सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से वंचित होते हैं।) के बीच अधिक प्रचलित है।

 

भारत में वे क्षेत्र जहां बाल श्रम प्रचलित है

भारत में बाल श्रम विभिन्न क्षेत्रों में प्रचलित है, जिनमें शामिल हैं:

कृषि(Farming): खेती की गतिविधियों में अपने परिवार की मदद करने के लिए बच्चे कृषि कार्य करते हैं। वे बागानों और बगीचों में भी काम करते हैं।

विनिर्माण(Manufacturing): बच्चे परिधान, कपड़ा और इलेक्ट्रॉनिक्स सहित विभिन्न प्रकार के सामान बनाने के लिए कारखानों में काम करते हैं।

खनन(Mining): बच्चे कोयला, अभ्रक और अन्य खनिज निकालने के लिए खदानों में काम करते हैं।

निर्माण(Construction): बच्चे घर, सड़क और अन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण में मदद के लिए निर्माण कार्य करते हैं।

घरेलू काम(Domestic work): बच्चे घरों में घरेलू नौकर के रूप में काम करते हैं।

अनौपचारिक क्षेत्र(Informal sector): बच्चे अनौपचारिक क्षेत्र में सड़क पर सामान बेचने वाले, जूते चमकाने वाले और भिखारी के रूप में काम करते हैं।

 

भारत में बाल श्रम के कारण(Causes of child labor in India)

भारत में बाल श्रम में योगदान देने वाले कई कारक हैं, जिनमें शामिल हैं:

गरीबी(Poverty): भारत में कई परिवार गरीब हैं और जीवित रहने के लिए अपने बच्चों की आय पर निर्भर हैं।

शिक्षा का अभाव(Lack of education): भारत में कई बच्चों के पास शिक्षा तक पहुंच नहीं है या गरीबी के कारण उन्हें स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

जागरूकता की कमी(Lack of awareness): भारत में बहुत से लोग बाल श्रम के खतरों या इसे प्रतिबंधित करने वाले कानूनों के बारे में नहीं जानते हैं।

सामाजिक मानदंड(Social norms): कुछ समुदायों में, बाल श्रम को जीवन के एक सामान्य और स्वीकार्य तरीके के रूप में देखा जाता है।

 

बाल श्रम का बच्चों पर प्रभाव(Effect of child labor on children)

बाल श्रम बच्चों के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर विनाशकारी प्रभाव डाल सकता है। जो बच्चे खतरनाक व्यवसायों में काम करते हैं उन्हें चोट, बीमारी और मृत्यु का खतरा होता है। वे हानिकारक रसायनों और अन्य विषाक्त पदार्थों के संपर्क में भी आ सकते हैं। बाल श्रम बच्चों को उनकी शिक्षा और अवकाश तथा मनोरंजक गतिविधियों के अधिकार से भी वंचित कर सकता है।

 

भारत में बाल श्रम के खिलाफ कानून और नीतियां(Laws and policies against child labor in India)

भारत का संविधान खतरनाक व्यवसायों में बाल श्रम पर प्रतिबंध लगाता है। बच्चों को बाल श्रम से बचाने के लिए कई कानून और नीतियां भी मौजूद हैं। हालाँकि, इन कानूनों और नीतियों को हमेशा प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया जाता है।

 

भारत में बाल श्रम उन्मूलन में चुनौतियाँ(Challenges in eradicating child labor in India)

भारत में बाल श्रम उन्मूलन में कई चुनौतियाँ हैं, जिनमें शामिल हैं:

गरीबी(Poverty): बाल श्रम का मूल कारण गरीबी है। गरीबी की समस्या का समाधान किए बिना बाल श्रम को खत्म करना मुश्किल है।

शिक्षा का अभाव(Lack of education): बच्चों को बाल श्रम के खतरों को समझने और वयस्कों के रूप में सभ्य काम खोजने के कौशल प्राप्त करने के लिए शिक्षा की आवश्यकता है।

जागरूकता की कमी(Lack of awareness): भारत में बहुत से लोग बाल श्रम के खतरों या इसे प्रतिबंधित करने वाले कानूनों के बारे में नहीं जानते हैं।

सामाजिक मानदंड(Social norms): कुछ समुदायों में, बाल श्रम को जीवन के एक सामान्य और स्वीकार्य तरीके के रूप में देखा जाता है।

 

भारत में बाल श्रम एक गंभीर समस्या है। यह बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है और उनके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर विनाशकारी प्रभाव डाल सकता है। भारत में बाल श्रम उन्मूलन में कई चुनौतियाँ हैं, लेकिन इस लक्ष्य की दिशा में काम करना जारी रखना महत्वपूर्ण है।

 

भारत में बाल श्रम उन्मूलन के लिए क्या किया जा सकता है?

भारत में बाल श्रम को खत्म करने के लिए कई चीजें की जा सकती हैं, जिनमें शामिल हैं:

गरीबी की समस्या का समाधान: यह विभिन्न उपायों के माध्यम से किया जा सकता है, जैसे परिवारों को सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करना, वयस्कों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना और शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल में निवेश करना।

सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना: इससे बच्चों को वयस्क होने पर अच्छा काम खोजने और बाल श्रम से बचने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान मिलेगा।

बाल श्रम के खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाना: यह सार्वजनिक शिक्षा अभियानों के माध्यम से और सामाजिक मानदंडों को बदलने के लिए समुदायों के साथ काम करके किया जा सकता है।

बाल श्रम के खिलाफ कानून और नीतियां लागू करना: इसमें यह सुनिश्चित करना शामिल है कि व्यवसाय बच्चों को रोजगार नहीं देते हैं और जो बच्चे खतरनाक व्यवसायों में काम करते पाए जाते हैं उन्हें बचाया और पुनर्वास किया जाता है।

बाल श्रम उन्मूलन एक जटिल चुनौती है, लेकिन इसे पूरा किया जाना चाहिए। साथ मिलकर काम करके हम एक ऐसी दुनिया बना सकते हैं जहां सभी बच्चे आज़ाद हों

 

यहां कुछ reference दिए गए हैं-

International Labour Organization (ILO), “Child Labour in India: A Statistical Snapshot” (2022)

UNICEF, “State of the World’s Children 2021: On My Mind: Promoting, protecting and caring for children’s mental health” (2021)

Save the Children, “Child Labour in India: A Country Report” (2020)

Child Rights and You (CRY), “Child Labour in India: A Comprehensive Analysis” (2019)

National Commission for Protection of Child Rights (NCPCR), “National Report on Child Labour in India” (2018)

ये रिपोर्ट भारत में बाल श्रम की व्यापकता, कारण और प्रभाव पर विस्तृत जानकारी प्रदान करती हैं। वे बाल श्रम और इसे खत्म करने की चुनौतियों से निपटने के लिए मौजूद कानूनों और नीतियों पर भी चर्चा करते हैं।

 

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