Ganesh Chaturthi का त्यौहार कब और क्यों मनाया जाता है?

गणेश चतुर्थी का त्योहार भारत में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। सेलिब्रेटी से लेकर आम जनता तक, सभी इस त्योहार को मनाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणेश चतुर्थी का त्योहार क्यों मनाया जाता है? नहीं तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि इस त्योहार को मनाने के पीछे की क्या वजह है।

गणेश चतुर्थी का त्यौहार कब और क्यों मनाया जाता है?

गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है, जो भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं और विधि-विधान से 10 दिनों तक उनकी पूजा अर्चना करते हैं।

गणेश चतुर्थी मनाने के पीछे का कारण

गणेश चतुर्थी मनाने के पीछे कई कारण हैं। सबसे प्रमुख कारण यह है कि इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, जो सभी बाधाओं को दूर करते हैं। इसलिए, लोग इस दिन भगवान गणेश की पूजा करके उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मनाते हैं।

गणेश चतुर्थी मनाने के अन्य कारणों में शामिल हैं:

  • यह एक खुशी का त्योहार है। लोग इस दिन नए साल का स्वागत करते हैं और अपनी खुशियों को मनाते हैं।
  • यह एक धार्मिक त्योहार है। लोग इस दिन भगवान गणेश की पूजा करके उनके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
  • यह एक सामाजिक त्योहार है। लोग इस दिन एक-दूसरे के घर जाकर भगवान गणेश की पूजा करते हैं और मिठाइयां बांटते हैं।

 

गणेश चतुर्थी के दिन की प्रमुख परंपराएं:

  • भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना: लोग अपने घरों में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं। मूर्ति स्थापित करने से पहले, लोग अपने घरों को साफ-सफाई करते हैं और गणेश चतुर्थी के स्वागत के लिए तैयार करते हैं।
  • भगवान गणेश की पूजा-अर्चना: लोग भगवान गणेश की मूर्ति की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। पूजा के दौरान, लोग भगवान गणेश को मिठाइयां, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करते हैं।
  • भगवान गणेश की आरती: लोग भगवान गणेश की आरती करते हैं। आरती के दौरान, लोग भगवान गणेश को प्रार्थना करते हैं और उनके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
  • भगवान गणेश की आरती के बाद, लोग भगवान गणेश को भोग लगाते हैं। भोग में आमतौर पर मिठाइयां, फल, और अन्य खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं।
  • गणेश चतुर्थी के दिन, लोग एक-दूसरे के घर जाकर भगवान गणेश की पूजा करते हैं और मिठाइयां बांटते हैं।

 

 

गणेश चतुर्थी का अंत:

गणेश चतुर्थी का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन होता है। इस दिन, लोग भगवान गणेश की मूर्ति गहरे पानी (नदी व समुन्द्र) में विसर्जित कर उन्हें विदाई देते हैं। विसर्जन के दौरान, वे भगवान गणेश से क्षमा मांगते हैं और उनके आशीर्वाद के लिए धन्यवाद देते हैं।

 

इस लेख में हम आगे चर्चा करेंगे कि-

गणेश चतुर्थी के समाप्त होने के बाद पर्यावरण पर इसका प्रभाव:

गणेश चतुर्थी के समाप्त होने के बाद पर्यावरण पर कई तरह के प्रभाव पड़ते हैं। इनमें से कुछ प्रभाव निम्नलिखित हैं:

  • जल प्रदूषण: गणेश चतुर्थी के दौरान, लाखों लोग अपने घरों और पंडालों से भगवान गणेश की मूर्तियों को विसर्जित करते हैं। इन मूर्तियों को आमतौर पर प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनाया जाता है, जो एक हानिकारक रसायन है। जब इन मूर्तियों को पानी में विसर्जित किया जाता है, तो वे पानी में भारी धातुओं, एसिड और अन्य हानिकारक पदार्थों को छोड़ती हैं। यह जलीय जीवन को नुकसान पहुंचा सकता है और पानी के प्रदूषण का कारण बन सकता है।
  • मृदा प्रदूषण: गणेश चतुर्थी के बाद, कई मूर्तियों को जलाशयों में छोड़ दिया जाता है, जो बाद में सूख जाती हैं। जब ये मूर्तियां सूख जाती हैं, तो वे मिट्टी में विघटित हो जाती हैं और हानिकारक रसायनों को छोड़ती हैं। यह मृदा प्रदूषण का कारण बन सकता है और पौधों और जानवरों को नुकसान पहुंचा सकता है।
  • वायु प्रदूषण: गणेश चतुर्थी के दौरान, लोग अक्सर आतिशबाजी करते हैं। आतिशबाजी से निकलने वाला धुआं और धूल वायु प्रदूषण का कारण बन सकता है। यह सांस लेने की समस्याओं और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।

 

 

पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के उपाय

गणेश चतुर्थी के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए, निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • प्लास्टर ऑफ पेरिस की जगह मिट्टी या अन्य पर्यावरण के अनुकूल सामग्री से बनी मूर्तियों का उपयोग करना।
  • मूर्तियों को विसर्जित करने से पहले उन्हें सुरक्षित रूप से तोड़ना या पीसना।
  • मूर्तियों को नदियों, तालाबों या अन्य जलाशयों में नहीं छोड़ना।
  • आतिशबाजी का उपयोग कम करना।

 

इन उपायों को अपनाकर, हम गणेश चतुर्थी के त्योहार को मनाते हुए पर्यावरण की रक्षा करने में मदद कर सकते हैं।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी और मान्यताओं पर आधारित है। Digital bharat vibes इस आर्टिकल में दी गई जानकारी की सटीकता और प्रामाणिकता की गारंटी नहीं देता है।

 

 

 

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