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एलोरा की गुफाएं: पत्थर में तराशे गए इतिहास के खजाने

एलोरा की गुफाएं: पत्थर में तराशे गए इतिहास के खजाने__ Ellora Caves: Treasures of history carved in stone

महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में, चट्टानों को काटकर बनाई गई एलोरा की गुफाएं मानव इतिहास के चमत्कारों में से एक हैं। ये गुफाएं सदियों से धर्म, कला और संस्कृति का केंद्र रही हैं। एलोरा की गुफाओं के बारे में जानना, पत्थर की दीवारों पर उकेरी गई कहानियों की यात्रा पर जाने जैसा है।

समय का सफर:

एलोरा की गुफाओं का निर्माण 6ठी और 10वीं शताब्दी के बीच अलग-अलग कालखंडों की हैं। गुफाओं का निर्माण कई शताब्दियों तक चला, और उनके निर्माण में कई राजवंश शामिल थे। इसमें लगभग 34 गुफाएं शामिल हैं, जिन्हें तीन अलग-अलग धर्मों के प्रभावों को दर्शाते हुए तीन समूहों में विभाजित किया जा सकता है: हिंदू, बौद्ध और जैन। यह विभिन्नता ही एलोरा की गुफाओं को इतना खास बनाती है। यह दिखाता है कि कैसे सदियों से अलग-अलग धर्म के लोग एक ही स्थान पर शांतिपूर्वक रहते थे और कला के माध्यम से अपनी आस्था को व्यक्त करते थे।

हिंदू गुफाएं:

हिंदू गुफाएं एलोरा में सबसे ज्यादा हैं। इनमें से कुछ सबसे प्रसिद्ध गुफाएं हैं कैलाशनाथ मंदिर, दशावतार गुफा और रामेश्वर गुफा। कैलाशनाथ मंदिर एक विशाल रथ के आकार का मंदिर है, जिसे एक ही चट्टान से तराशा गया है। यह वास्तुकला का एक अद्भुत नमूना है और भगवान शिव को समर्पित है। दशावतार गुफा में भगवान विष्णु के दस अवतारों की मूर्तियां हैं, जबकि रामेश्वर गुफा में रामायण के दृश्यों को उकेरा गया है।

एलोरा की गुफाओं में से 13 से 29 तक की गुफाएं हिन्दू धर्म से संबंधित हैं। ये गुफाएं 7वीं से 10वीं शताब्दी के बीच बनाई गई थीं, और इनमें शिव, विष्णु, दुर्गा, गणेश, कार्तिकेय और अन्य हिन्दू देवताओं के मंदिर हैं। इन गुफाओं में से कुछ प्रमुख गुफाएं हैं:

  • गुफा 15: यह गुफा दशावतार के नाम से जानी जाती है। यह एक हिन्दू विहार है, जिसमें विष्णु के दस अवतारों की प्रतिमाएं हैं। इस गुफा में विष्णु के नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण और कल्कि अवतारों के दृश्य उत्कीर्ण हैं। इस गुफा का निर्माण 8वीं शताब्दी में हुआ था।
  • गुफा 16: यह गुफा कैलाश मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। यह एक विशाल शिव मंदिर है, जो एक ही चट्टान से निकाला गया है। यह गुफा एक विशाल मंदिर है, जो एक ही पत्थर से बना है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में एक राष्ट्रकूट राजा ने करवाया था।

मंदिर में भगवान शिव के अलावा उनकी पत्नी पार्वती, उनके पुत्र गणेश और कार्तिकेय, और उनके वाहन नंदी की मूर्तियां हैं। मंदिर की विशेषता यह है कि इसे ऊपर से नीचे की ओर खोदकर बनाया गया है। इसमें कई तरह की कला शैलियों का समावेश है। मंदिर की लंबाई 85 मीटर, चौड़ाई 45 मीटर और ऊंचाई 32 मीटर है। मंदिर को बनाने के लिए लगभग 2 लाख टन पत्थर को काटकर हटाया गया था।

  • गुफा 21: यह गुफा रामेश्वर के नाम से जानी जाती है। यह एक हिन्दू विहार है, जिसमें शिव के अनेक रूपों और कथाओं के दृश्य उत्कीर्ण हैं। इस गुफा में शिव के नृत्य, शिव-पार्वती का विवाह, शिव का गण्गा अवतरण, शिव का अर्धनारीश्वर रूप, शिव का अंधकासुर वध, शिव का त्रिपुरासुर वध आदि चित्रित हैं। इस गुफा का निर्माण 7वीं शताब्दी में हुआ था।
  • गुफा 29: यह गुफा दूमर लेना के नाम से जानी जाती है। यह एक हिन्दू चैत्य है, जिसमें एक बड़ा शिवलिंग है, जिसके चारों ओर चार द्वार हैं। इस गुफा की प्रवेश द्वार पर शिव के दस अवतारों की प्रतिमाएं हैं। इस गुफा का निर्माण 9वीं शताब्दी में हुआ था।

बौद्ध गुफाएं:

एलोरा की गुफाओं में से पहली 12 गुफाएं बौद्ध धर्म के लिए बनाई गई थीं। इन गुफाओं में बौद्ध मंदिर, चर्च और मूर्तियां हैं। ये गुफाएं 5वीं से 8वीं शताब्दी के बीच बनाई गई थीं। 

एलोरा की बौद्ध गुफाएं शांति और ज्ञान का प्रतीक हैं। इनमें से कुछ सबसे प्रसिद्ध गुफाएं हैं कार्लो गुफा, भंजा गुफा और ध्यानेश्वर गुफा। कार्लो गुफा में एक बड़ा स्तूप है, जो बुद्ध के अवशेषों का प्रतिनिधित्व करता है। भंजा गुफा में बुद्ध के जीवन की कहानियों को दर्शाते हुए सुंदर चित्र और मूर्तियां हैं। ध्यानेश्वर गुफा में एक विशाल ध्यान करते हुए बुद्ध की मूर्ति है, जो आंतरिक शांति का प्रतीक है।

गुफा 10: इस गुफा को विश्वकर्मा या सूत-की-झोपड़ी के नाम से भी जाना जाता है। यह एक बौद्ध चर्च है, जिसमें एक विशाल बुद्ध की मूर्ति है। इस गुफा की छत पर लकड़ी की तरह नक्काशी की गई है।

गुफा 11: यह गुफा दो मंजिला है। पहली मंजिल पर एक बड़ा बुद्ध का मंदिर है, जिसमें बुद्ध की विभिन्न मुद्राओं की मूर्तियां हैं। दूसरी मंजिल पर वज्रयान बौद्ध धर्म के कई देवताओं के चित्र हैं।

गुफा 12: यह गुफा तीन मंजिला है। इसे तीन ताल के नाम से भी जाना जाता है। यह एक बौद्ध मठ है। इस गुफा में बुद्ध के अलावा अवलोकितेश्वर, मन्जुश्री, तारा और अन्य बौद्ध देवताओं की मूर्तियां हैं। इस गुफा का निर्माण 8वीं शताब्दी में हुआ था।

जैन गुफाएं:

एलोरा की जैन गुफाएं आध्यात्मिकता और तपस्या का प्रतीक हैं। इनमें से कुछ सबसे प्रसिद्ध गुफाएं हैं चोंबड़ी गुफा, इंद्र सभा गुफा और जैना गुफा। चोंबड़ी गुफा में 24 तीर्थंकरों की मूर्तियां हैं, जो जैन धर्म के संस्थापक माने जाते हैं। इंद्र सभा गुफा में जैन धर्म के देवताओं और तीर्थंकरों की कई मूर्तियां हैं। जैना गुफा में भगवान महावीर के जीवन की कहानियों को दर्शाते हुए सुंदर चित्र और मूर्तियां हैं।

एलोरा की गुफाओं में से 30 से 34 तक की गुफाएं जैन धर्म से संबंधित हैं। ये गुफाएं 9वीं से 12वीं शताब्दी के बीच बनाई गई थीं, और इनमें जैन तीर्थंकरों और यक्षों के मंदिर हैं। इन गुफाओं में से कुछ प्रमुख गुफाएं हैं:

  • गुफा 32: यह गुफा इंद्रसभा के नाम से जानी जाती है। यह एक जैन विहार है, जिसमें जैन तीर्थंकर महावीर का एक बड़ा मंदिर है, जिसके चारों ओर चार द्वार हैं। इस मंदिर के ऊपर एक छतरी है, जिसके नीचे इंद्र और इंद्राणी की प्रतिमाएं हैं। इस गुफा में जैन यक्ष और यक्षिणियों के चित्र भी हैं।
  • गुफा 33: यह गुफा जगन्नाथ सभा के नाम से जानी जाती है। यह एक जैन चैत्य है, जिसमें जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ का एक मंदिर है, जिसके पीछे एक सर्प का शिर है। इस गुफा में जैन तीर्थंकर रिषभनाथ, नेमिनाथ और महावीर की प्रतिमाएं भी हैं।
  • गुफा 34: यह गुफा छोटी है, और इसमें जैन तीर्थंकर महावीर की एक प्रतिमा है, जो ध्यान मुद्रा में बैठी है। इस गुफा का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था।

यात्रा की जानकारी:

  • एलोरा की गुफाएं औरंगाबाद से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।

  • गुफाओं तक पहुंचने के लिए सड़क, रेल और हवाई मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

  • गुफाएं सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक खुली रहती हैं।

  • प्रवेश शुल्क भारतीयों के लिए 35 रुपये और विदेशियों के लिए 500 रुपये है।

  • गुफाओं के अंदर फोटोग्राफी की अनुमति है, लेकिन फ्लैश का उपयोग करने की मनाही है।

एलोरा की गुफाएं सिर्फ पत्थर में तराशे गए मंदिर और गुफाएं नहीं हैं, बल्कि ये मानव इतिहास, कला और संस्कृति का संग्रहालय हैं। ये हमें अलग-अलग धर्मों की सहअस्तित्व और विश्वास की शक्ति के बारे में याद दिलाती हैं। एलोरा की यात्रा एक ऐसी यात्रा है जो आपको अचंभित करती है, प्रेरित करती है और आपके नजरिए को बदल देती है।

अगर आप इतिहास और कला के शौकीन हैं, तो एलोरा की गुफाएं आपके लिए जरूर देखने लायक जगह हैं। ये गुफाएं आपको एक ऐसी दुनिया में ले जाएंगी, जहां पत्थर बोलते हैं और कहानियां सुनाते हैं। एक ऐसी दुनिया, जिसे देखने के बाद आप हमेशा के लिए बदले हुए वापस आएंगे।

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