एक सरकारी शिक्षक की सरकारी जिंदगी
सुबह उठो, स्कूल जाओ, काम करो, खाओ, सो जाओ, फिर से शुरू करो। सोमवार का दिन था | एक करकस सी आवाज कानो में पड़ते ही बिना आँखों को खोले ही, साहब ने हाथो को तकिये के नीचे डाला और एकाएक वह आवाज गुमसुम सी हो गई | आवाज के बंद होते ही फिर से…