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नीलगिरी तहर: एक दुर्लभ पहाड़ी बकरी

नीलगिरी तहर दक्षिण भारत के पश्चिमी घाट के ऊंचे घास के मैदानों में पाए जाने वाले एक दुर्लभ और खूबसूरत पहाड़ी बकरी है। यह भारत के तमिलनाडु राज्य का राज्य पशु भी है। नीलगिरी तहर को उसकी शानदार घुमावदार सींगों और झबरा अयाल से आसानी से पहचाना जा सकता है।

कहां पाए जाते हैं नीलगिरी तहर?

नीलगिरी तहर मुख्य रूप से भारत के पश्चिमी घाट के नीलगिरी, अनामामलाई और नेल्लियांपति पहाड़ियों में पाए जाते हैं। ये बकरी ऊंचे घास के मैदानों और चट्टानी इलाकों को पसंद करती हैं, जहां वे घास, फूल, पत्तियों और फलों पर भोजन करती हैं।

नीलगिरी तहर की शारीरिक विशेषताएं

नीलगिरी तहर मध्यम आकार के बकरे होते हैं जिनका वजन लगभग 120 किलोग्राम तक होता है। नर तहर मादाओं से बड़े और अधिक मजबूत होते हैं। नर तहर के पास लंबी, घुमावदार सींगें होती हैं जो लगभग 60 सेंटीमीटर तक लंबी हो सकती हैं। मादा तहर की सींगें छोटी और अधिक सीधी होती हैं।

नीलगिरी तहर का व्यवहार

नीलगिरी तहर दिन के समय सक्रिय रहते हैं और रात में आराम करते हैं। वे छोटे समूहों में रहते हैं जिनमें आमतौर पर 10 से 20 बकरियां होती हैं। नर तहर प्रादेशिक होते हैं और अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए अन्य नर तहरों से लड़ते हैं।

नीलगिरी तहर के संरक्षण की स्थिति

नीलगिरी तहर एक लुप्तप्राय प्रजाति है जिसकी संख्या में लगातार कमी आ रही है। इन बकरियों के आवास का विनाश, शिकार और बीमारियां उनके अस्तित्व के लिए प्रमुख खतरे हैं। नीलगिरी तहर की रक्षा के लिए कई संरक्षण प्रयास किए जा रहे हैं, जिनमें आवास संरक्षण, शिकार पर रोक और प्रजनन कार्यक्रम शामिल हैं।

नीलगिरी तहर का सांस्कृतिक महत्व

नीलगिरी तहर भारत के लोगों के लिए सांस्कृतिक महत्व रखते हैं। इन बकरियों को कई स्थानीय देवताओं का वाहन माना जाता है और उन्हें अक्सर कला और साहित्य में दर्शाया जाता है।

नीलगिरी तहर एक अद्भुत और दुर्लभ प्रजाति है जो भारत की प्राकृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इन बकरियों की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है ताकि आने वाली पीढ़ियां भी उनकी सुंदरता और शान को देख सकें।

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