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पाताल भुवनेश्वर गुफा: उत्तराखंड की रहस्यमयी गुफा

उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले से 70 कि.मी. दूर गंगोलिहाट सहर के पास स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा एक प्राकृतिक गुफा है। भुवनेश्वर गांव के पास होने से इस गुफा का नाम पाताल भुवनेश्वर पड़ा। जो अपने धार्मिक महत्व और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। यह गुफा ज़मीन से 90 फीट नीचे स्थित है और लगभग 160 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली हुई है। गुफा के भीतर शिवलिंग, देवी-देवताओं की मूर्तियां और प्राकृतिक कलाकृतियां देखी जा सकती हैं। मान्यता है कि यहाँ प्रार्थना करने से चार धाम यात्रा का पुण्य प्राप्त होता है।

गुफा की खोज और मान्यता

पाताल भुवनेश्वर गुफा की खोज का श्रेय राजा ऋतुपर्ण को दिया जाता है, जो सूर्य वंश के राजा थे और त्रेता युग में अयोध्या पर शासन करते थे। स्कंद पुराण में वर्णन है कि राजा ऋतुपर्ण एक जंगली हिरण का पीछा करते हुए इस गुफा में पहुंचे और उन्होंने इस गुफा के भीतर महादेव शिव सहित 33 कोटि देवताओं के साक्षात दर्शन किए।

 

धार्मिक महत्व:

इस गुफा में भगवान शिव को पाताल भुवनेश्वर के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि इस गुफा में भगवान शिव का वास है और यहां पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

गुफा के अन्दर जाने के लिए लोहे की जंजीरों का सहारा लेना पड़ता है जो सीधे 90 फीट नीचे को जाती है।  गुफा के अन्दर कई मनमोहक कलाकृतियां है जो प्राकृतिक चुना पत्थर से बनी हुई है जो गुफा को और अधिक आकर्षक बनाती हैं। गुफा में बिजली की रोशनी भी उपलब्ध है। यह गुफा एक गुफा नहीं है, बल्कि गुफाओं की एक श्रृंखला है जो पानी के प्रवाह से बनी है।

गुफा के अन्दर एक कलाकृति बनी है जो देखने में शेषनाग द्वारा पृथ्वी को पकड़ने जैसा महसूस होता है। गुफा में एक हज़ार पैरो वाला हाथी भी देखा जा सकता है। गुफा में कई अद्भुद कलाकृति बनी हुई है उनमे से एक शिवलिंग भी जो लगातार समय के साथ बढ़ता जा रहा है, मान्यता है कि जिस दिन यह शिवलिंग गुफा के छत को छू लेगा उस दिन पृथ्वी का अंत हो जाएगा। 

यह भी मानना है कि पांडवो द्वारा युद्ध के बाद यही तप किया गया था| 

 

रहस्यमयी कहानियां:

पाताल भुवनेश्वर गुफा के बारे में कई रहस्यमय कहानियां भी हैं। इन कहानियों ने पाताल भुवनेश्वर गुफा को एक और अधिक रहस्यमय और आकर्षक स्थान बना दिया है।

यह गुफा बहुत लम्बी है जिसका अंत किसी ने नहीं देखा इसीलिए सुरुक्षा को देखते हुए गुफा का रास्ता अन्दर से कुछ सो मीटर के बाद बंद कर दिया गया है। 

 

गुफा के अन्दर

 

गुफा की कहानी:

पाताल भुवनेश्वर गुफा के बारे में एक लोकप्रिय कहानी है कि एक समय में एक गरीब किसान था जो रोजाना इस गुफा के पास से गुजरता था। एक दिन, उसे गुफा के अंदर से एक आवाज सुनाई दी। आवाज ने उसे गुफा में आने के लिए कहा। किसान ने गुफा में प्रवेश किया और उसने भगवान शिव के दर्शन किए। भगवान शिव ने किसान को आशीर्वाद दिया और कहा कि वह जो भी मांगेगा, वह उसे मिलेगा। किसान ने भगवान शिव से अपने परिवार और गांव के लिए खुशहाली मांगी। भगवान शिव ने उसकी प्रार्थना सुनी और किसान की सभी मनोकामनाएं पूरी हुईं।

पाताल भुवनेश्वर गुफा एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। हर साल लाखों लोग इस गुफा के दर्शन करने आते हैं। 

यदि आप उत्तराखंड की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं, तो पाताल भुवनेश्वर गुफा को जरूर देखें। यह गुफा आपको एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करेगी।

 

कैसे जाएं-

देहरादून से पाताल भुवनेश्वर की कुल दुरी 225 किमी और दिल्ली से 530 किमी है| दोनों जगहों से आप रोडवेज बस या टेक्सी की सहायता से पहले हल्द्वानी पहुचना पड़ेगा| आप अपने वाहन से भी जा सकते हैं|

रूट – हल्द्वानी→ अल्मोड़ा→ बाड़ेछीना→ धौलछीना→ सेराघाट→ राई आगर→ गांगोलीहाट→ गुप्तड़ी→ पाताल भुवनेश्वर  

एक और रूट है अगर आप पिथौरागढ़ से होते हुए जाना चाहते हो तो –

रूट – पिथौरागढ़→ थल→ बेरीनाग→ राई आगर→ गांगोलीहाट→ गुप्तड़ी→ पाताल भुवनेश्वर

 

 

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